किसी भी राष्ट्र की भाषा उसकी पहचान होती है। आज की परिस्थिति और वैश्विक माहौल से स्पष्ट है कि हमें आत्मनिर्भरता पर ध्यान होगा और अपनी पहचान को पूर्णतया स्थापित करना होगा।
अपनी उत्कृष छवि को पुनः स्थापित करने के लिए हमें अपनी संस्कृति और ज्ञान को आधार बना कर लक्ष्य की और अग्रसर होना है। मातृ-भाषा का इस में बहुत बड़ा योगदान होना है और मातृ-भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग, उपयोग और प्रचलित कर हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है।
हम अपनी-अपनी #मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाएं और साथ में हिन्दी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक नई पहचान को फिर एक स्वर्णयुक्त, गरिमापूर्ण, सम्पूर्ण मानव मूल्यों से समाहित आदर्श राष्ट्र के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें।
आज समय है पुनः संकल्प लेने का – स्व:संकल्प कि आज से हम ज्यादा से ज्यादा हिन्दी भाषा का उपयोग अपनी अपनी दिनचर्या में करेंगे। साथ ही साथ में यह भी प्रयास करेंगे की शिक्षा, तकनीकी कौशल के विकास और व्यवसाय कार्यशाला इत्यादि में भी हिन्दी को ध्यान में रख कर नया पाठ्यक्रम और कार्य-प्रणाली को विकसित करेंगे। धीरे-धीरे यही छोटे -छोटे प्रयास एक बड़े बदलाव की नींव बनेंगे।
गोपीकृष्ण बाली
* 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देश की बहुरंगी संस्कृति को दर्शाती हिन्दी को देश की राजभाषा बनाने का फैसला लिया और पहला हिन्दी दिवस 1953 में मनाया गया। हिन्दी भाषा की सरलता, सहजता और शालीनता अभिव्यक्ति को सार्थकता प्रदान करती है। आइए हम सभी अपने दैनिक जीवन में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाएं एवं दूसरों को भी प्रेरित करें.हिन्दी दिवस पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।
#जयभारत! #जयहिन्द #राजभाषाहिन्दी #गोपीकृष्ण बाली