चिन्तन + मनन = आनंद अभिव्यक्ति
मनुष्य को तीन ही शक्तियाँ प्राप्त हैं –
जानने की शक्ति,
मानने की शक्ति और
करने की शक्ति।
जानने की शक्ति ज्ञानयोग के लिए,
मानने की शक्ति भक्तियोग के लिए और
करने की शक्ति कर्मयोग के लिए।
जानने की शक्ति का उच्चतम उपयोग और सदुपयोग है – अपने आप को जानना,
मानने की शक्ति का उच्चतम उपयोग और सदुपयोग है – भगवान (ईश्वर) को मानना और
करने की शक्ति का उच्चतम उपयोग और सदुपयोग है – सेवा करना।
अपने आप को जान कर, मान कर, कर्म करना – वो भी परोपकारी, सब के भले के लिए तो इस संसार में रहते हुए भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
प्रयास : अभ्यास : विश्वास
#विवेक: विचारपूर्वक संसार से मिली हुई वस्तुओं से अपने आप को अलग कर सकते हैं, यह ज्ञानयोग का निचोड़ है।
#कैसे: उन्हीं वस्तुओं के उपयोग को संसारवासियों की सेवा में लगा दें, यह कर्मयोग का सार है।
#आनंद कैसे मिलेगा: मनुष्य जिस का अंश है, उसी परम ईश्वर के ध्यान मे रहते हुए, सब का हो कर, एकसार हो, समर्पित भाव से सभी कार्य करे, यह भक्तियोग की समझ है।
#प्रयास : #अभ्यास : #विश्वास करना है, अपने आप पर, सब पर, पूर्णता के साथ।
सदैव आनंदित रहें और आनंद बांटें।।